Mahayuti में बढ़ती दरार: BJP–Shinde Sena में रेड की राजनीति गर्म

भोजराज नावानी
भोजराज नावानी

महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों चुनावी मैदान से ज़्यादा छापेमारी के मैदान में खेली जा रही है। पहले मालवण, फिर सांगोला… और अब भाजपा व शिंदे शिवसेना के बीच तनाव ऐसे भड़क रहा है जैसे दाल में तड़का ज्यादा पड़ गया हो।

शुरुआत तब हुई जब शिंदे गुट के विधायक निलेश राणे ने प्रचार के दौरान BJP पदाधिकारी के घर रेड मारकर नोटों से भरा बैग बरामद करने का दावा किया।
तल्खी बढ़ी…और इससे पहले कि मामला ठंडा पड़ता—सांगोला में LCB और चुनाव आयोग की टीम ने शिंदे गुट के पूर्व विधायक शाहजी बापू पाटिल के दफ्तर पर रेड मार दी।

यानी चुनाव अभियान की शुरुआत पोलिंग से नहीं, पोल (raid) खोलने से हो रही है।

सांगोला में Five Office Raid—पूरा इलाका Breaking News बना

चुनाव आयोग ने पुलिस की मदद से भाजपा, शेकाप, एनसीपी, शहर विकास आघाडी — यानी सबके ऑफिस में छापे मारे।
किसके पास क्या मिला?
प्रशासन ने चुप्पी मार ली है। लेकिन सोशल मीडिया ने फिर भी अपना फैसला सुना दिया- “कहीं कुछ तो गड़बड़ है, सरकारी चुप्पी में भी आवाज़ आती है!”

शिंदे की सफाई—Regular Checking है

रेड पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा- “कुछ भी सीरियस नहीं है। जांच नियमों के मुताबिक होगी।”
लेकिन राजनीति में “सीरियस नहीं” वाली बात तभी कही जाती है जब मामला वास्तव में बहुत सीरियस होता दिख रहा हो।

4 दिन पहले हिंगोली MLA संतोष बांगर पर रेड…अब शाहजी बापू पाटिल…गठबंधन में सब ठीक है?
या फिर “महा-यूति” का ‘यूति’ हिस्सा धीरे-धीरे ‘उखड़’ रहा है— यह चर्चा तेज़ है।

शाहजी बापू पाटिल का गुस्सा — “ऐसी कार्रवाई कभी नहीं देखी!”

सांगोला के पूर्व विधायक शाहजी बापू पाटिल वैसे भी भाजपा से नाराज़ चल रहे थे क्योंकि भाजपा ने इस बार सीट पर शिंदे गुट को छोड़कर विपक्षी दलों संग फ्रंट बना लिया है

पाटिल इस चाल को “लाचार पर बलात्कार जैसा कृत्य” तक कह चुके थे— और अब रेड पड़ते ही गुस्सा और बढ़ गया।
उनका ताज़ा बयान-“इतने चुनाव लड़े, ऐसी कार्रवाई कभी नहीं देखी! राजनीति गलत दिशा में जा रही है। मन हो रहा राजनीति छोड़ दूं।”

मतलब साफ—रेड का दर्द मन तक जा चुका है।

रेड टाइमिंग पर नया सियासी ‘तड़का’

गौर करने वाली बात—पाटिल के ऑफिस पर रेड उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सभा के कुछ घंटे बाद हुई। और राजनीति में टाइमिंग…कभी भी सिर्फ़ टाइमिंग नहीं होती।

इसी वजह से विपक्षी खेमों में फिर ये सवाल गूंज रहा है-“रेड ही weapon है या फिर कोई political message चल रहा है?”

क्या महायुति वाकई टूट की ओर?

भाजपा बनाम शिंदे शिवसेना की खींचतान अब खुली किताब बन चुकी है। लोकल बॉडी इलेक्शन ने इसे और साफ कर दिया— साथ साथ चुनाव नहीं, अलग अलग ठिकानों पर रेड और बयानबाज़ी!

महाराष्ट्र की राजनीति में सबको पता है-जहां alliance कमजोर होता है, वहां सबसे पहले छापे मजबूत होते हैं।

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